अमेरिका में जन्म, भारत से गहरा जुड़ावसैली होलकर का जन्म अमेरिका के डलास में हुआ, लेकिन उन्होंने भारत के सामाजिक और सांस्कृतिक जीवन में सक्रिय भागीदारी निभाई। वे स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय से राजनीति शास्त्र की ग्रैजुएट हैं।
इंदौर के शाही परिवार से विवाह1967 में सैली ने इंदौर के पूर्व महाराजा परिवार के रिचर्ड होलकर से विवाह किया और शालिनी देवी होलकर नाम से पहचानी जाने लगीं।
महेश्वर में बसावट और ग्रामीण जीवनप्रिवी पर्स समाप्त होने के बाद दंपति ने महेश्वर के ऐतिहासिक अहिल्या किले में रहना शुरू किया, जहाँ उन्होंने ग्रामीण जीवन को आत्मसात किया।
रीहवा सोसाइटी की स्थापना1978 में सैली ने महेश्वरी बुनाई के पुनरुद्धार हेतु रीहवा सोसाइटी की सह-स्थापना की, जिससे हजारों कारीगरों को रोजगार मिला।
वीमेनवीव और गुडी मुडी से महिला सशक्तिकरण2003 में वीमेनवीव और बाद में गुडी मुडी जैसी परियोजनाओं के ज़रिए सैली ने विधवाओं, एकल माताओं और हाशिए की महिलाओं को आर्थिक आत्मनिर्भरता दिलाई।
हैंडलूम स्कूल की शुरुआत2013/2015 में स्थापित हैंडलूम स्कूल में देशभर से युवा बुनकर पारंपरिक बुनाई और आधुनिक डिज़ाइन का प्रशिक्षण पाते हैं।
व्यापक सामाजिक बदलाव की पहलउन्होंने महिला बुनकरों को सामाजिक सुरक्षा, नियमित वेतन, बच्चों के लिए स्कूल और स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराईं।
पद्म श्री सम्मान और विरासतभारत सरकार ने 2025 में उन्हें पद्म श्री से सम्मानित किया। पाँच दशकों से अधिक समय से वे भारत में रहकर ग्रामीण उद्योग और सांस्कृतिक विरासत को सशक्त बना रही हैं।