कैंसे और कब उतारे कलावा? जानें धार्मिक नियम

हिंदू धर्म में कलावा का बहुत महत्व है। इसे शुभ और मांगलिक कार्यों में पूजा के बाद या पहले हाथ पर बांधा जाता है।

मंगल कार्य

हिंदू धर्म में कलावा का बहुत महत्व है। इसे शुभ और मांगलिक कार्यों में पूजा के बाद या पहले हाथ पर बांधा जाता है।

मंगल कार्य

कलावा को मौली या रक्षासूत्र भी कहते हैं। इसे सुख-समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। इससे सकारात्मक ऊर्जा का संचार भी होता है।

रक्षासूत्र

इसके और भी कई फायदे हैं। मान्यता के अनुसार कलावा बुरी शक्तियों से बचाता है। इसे पहनने और उतारने के भी नियम हैं।

कलावे के नियम

जानिए धागा उतारने के बाद क्या करना चाहिए। आइए जानते हैं इससे जुड़े नियम।

उतारने के बाद

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जिन लोगों ने हाथ पर कलावा बांधा है, उन्हें उस धागे को मंगलवार या शनिवार को ही उतारना चाहिए।

किस दिन उतारें

पूजा घर में बैठकर इस धागे को खोलें और उसी समय पूजा घर में बैठकर दूसरा धागा बांधें।

दूसरा धागा

अब उतारे गए कलावा को पीपल के पेड़ के नीचे रखना या बहती नदी में विसर्जित करना शुभ होता है।

कलावा का क्या करें

कलावा बांधते समय मुट्ठी बंद होनी चाहिए और सिर ढका होना चाहिए। कलावा को केवल 3 बार ही लपेटा जाता है।

कलावा बांधने का नियम

कलावा के महत्व की बात करें तो कलावा के बारे में कहा जाता है कि भगवान विष्णु के वामन अवतार ने दैत्यराज बलि की कलाई पर कलावा बांधा था।

कलावे का महत्व

यह जानकारी केवल मान्यताओं, धार्मिक ग्रंथों पर आधारित है। किसी भी जानकारी पर भरोसा करने से पहले किसी विशेषज्ञ से सलाह लें।

नोट

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