कहां है Jesus Christ का वो जादुई प्याला जिसके इस्तेमाल से इंसान हो जाता है अमर!

दुनिया के हर धर्म से जुड़े तमाम किस्से-कहानियां होते हैं। ऐसी ही एक कहानी ‘द होली ग्रेल’ की है। ईसाई धर्म की मान्यता के मुताबिक, होली ग्रेल एक जादुई प्याला है, जिसके इस्तेमाल से इंसान अमर हो जाता है। असली होली ग्रेल होने का दावा करने वाले तमाम ठिकानों में से एक है स्पेन का शहर वैलेंसिया। वैलेंसिया, स्पेन का तीसरा बड़ा शहर है। यहां आने पर आप को तरक्की के बावजूद वक्त के ठहर जाने का अहसास होता है।

वैलेंसिया के ही एक बहुत पुराने चर्च में होली ग्रेल होने का दावा किया जाता है। इस चर्च का नाम है वैलेंसिया कैथेड्रल। यहां रखा एक प्याला जिसे स्पेनिश जबान में सांतो चैलिस कहते हैं, उसके होली ग्रेल यानी वो प्याला जिसे प्रभु यीशु ने इस्तेमाल किया था, होने का दावा सदियों से किया जाता रहा है।

हालांकि, होली ग्रेल का जिक्र बाइबिल में नहीं मिलता। ये तो बाद की धार्मिक कहानियों और लोक कथाओं का हिस्सा बना। होली ग्रेल का सबसे पहले ब्रिटेन के राजा किंग ऑर्थर से जुड़े किस्से-कहानियों में जिक्र आया था। प्राचीन काल में फ्रांस के दो बड़े कवियों रॉबर्ट दी बोर्नो और शेरेटिन द ट्रॉय ने अपनी कविताओं में राजा आर्थर के जमाने की कहानियों को और बढ़ा चढ़ाकर लिखा। द ट्रॉय ने इसका देगची या बड़ी डिश के तौर पर जिक्र किया है।

श्रद्धालुओं के लिए होली ग्रेल यानी पवित्र प्याले का मजहबी महत्व होगा, लेकिन रिसर्चरों के लिए इसका साहित्यिक महत्व ज्यादा है। स्पेन के वैलेंसिया में रखे प्याले वाले कैथेड्रल को 'ला केपिला देल सेंतो चैलिस' कहते हैं। मतलब पवित्र प्याले का चर्च।

माना जाता है कि प्रभु यीशु के आखिरी भोज का वाकया यरूशलम में हुआ था। तो फिर ये पवित्र प्याला स्पेन तक कैसे पहुंचा? कहा जाता है कि दो हजार साल पहले रोम के पहले पोप सेंट पीटर इसे सबसे पहले यरूशलम से रोम लेकर आए थे और सेंट पीटर ने ही लोगों को बताया था कि यही होली ग्रेल है जिसका इस्तेमाल प्रभु यीशु ने अपने आखिरी खाने के समय किया था।

257 ईस्वी में जब रोम में राजा वलेरियन ने ईसाईयों को सताना शुरू किया तो इस पवित्र प्याले को स्पेन के शहर ह्यूस्का में सुरक्षित जगह पर भेज दिया गया। इस शहर में ये प्याला कुछ सदियों तक रहा। आठवीं शताब्दी में जब यहां उमय्यद खलीफाओं के हमले बढ़ने लगे, तो लूटपाट के डर से इसे उत्तरी स्पने के सेन जुआन दी ला पेना ईसाई मठ में सुरक्षित कर दिया गया।

कैथेड्रल रिकॉर्ड के मुताबिक 1416 में जब अल्फोंस ने गद्दी संभाली तो किंग मार्टिन के मकबरा का तबादला वैलेंसिया कर दिया गया। प्याला भी साथ में यहां आ गया। बाद में इसे कैथेड्रल को सौंप दिया गया। 2014 में दो इतिहासकारों ने 'किंग ऑफ द ग्रेल' नाम की एक किताब लिखी, जिसमें उत्तरी स्पेन के चर्च बैसिलिका ऑफ सेन इसीडोरो ऑफ लिओन में असली होली ग्रेल होने का दावा किया।

इन इतिहासकारों का ये दावा हाल में मिली प्राचीन मिस्री हस्तलिपि पर आधारित है। वैलेंसिया के चर्च की तरह इनके पास भी अपने तर्क के समर्थन में बहुत सी कहानियां हैं, लेकिन इन इतिहासकारों का दावा वैलेंसिया में होली ग्रेल या पवित्र प्याला होने की थ्योरी को नकारता है। बहरहाल पवित्र प्याले को लेकर दावे और कहानियां बहुत हैं, लेकिन पुख्ता तौर पर असली पवित्र प्याला अभी भी रहस्य बना हुआ है।

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