छत्तीसगढ़ का ये फल है खास, गर्मियों में सेहत का ऐसे रखता है ख्याल
तेंदू फल, जिसे स्थानीय भाषा में तिंदी भी कहा जाता है, आमतौर पर गर्मियों में ही पककर तैयार होता है। यह छोटा, गोल और नारंगी रंग का होता है। इसके स्वाद में हल्की मिठास और कसैलापन होता है, जो इसे और भी दिलचस्प बनाता है।
यह फल जंगलों में सहज रूप से उगता है और ग्रामीण तथा वनवासी समुदायों के लिए यह गर्मी के मौसम का खास तोहफा होता है। बच्चे हों या बड़े, सभी इसे बड़े चाव से खाते हैं और इसकी मिठास गर्मी की तपिश को कुछ पल के लिए भुला देती है।
सेहत की दृष्टि से भी यह फल बेहद फायदेमंद माना जाता है। तेंदु फल में भरपूर मात्रा में फाइबर, प्राकृतिक शुगर और विटामिन्स होते हैं। यह पाचन को बेहतर बनाता है। शरीर को प्राकृतिक ठंडक देता है।
यह फल गर्मी के मौसम में शरीर को डिहाइड्रेशन से बचाने में मदद करता है। साथ ही, यह पेट से जुड़ी कई छोटी-मोटी समस्याओं में लाभकारी होता है, इसलिए इसे "गर्मी का नेचुरल टॉनिक" भी कहा जा सकता है।
पारंपरिक रूप से तेंदू फल को ताजा खाया जाता है, लेकिन कुछ लोग इसे सुखाकर भी रखते हैं। आदिवासी समाज में इसे घरेलू औषधि के रूप में भी प्रयोग किया जाता है, खासकर पेट दर्द या हल्की गर्मी से होने वाली बीमारियों में।
तेंदू फल छत्तीसगढ़ की जैव विविधता का जीता-जागता उदाहरण है। यह केवल एक फल नहीं, बल्कि एक परंपरा, एक स्वाद और एक स्वास्थ्यवर्धक खजाना है। जरूरत है इसे सहेजने की, और नई पीढ़ी तक इसकी अहमियत पहुंचाने की।