चीता सिर्फ 3 सेकंड में 100 KM प्रति घंटे की रफ्तार पकड़ लेता है। उसकी पूंछ उसे दौड़ते वक्त बैलेंस और मुड़ने में मदद करती है।
चीता शेर और बाघ की तरह दहाड़ नहीं सकता। चीता गुर्राता है। उसकी आवाज बिल्ली से मिलती-जुलती होती है।
चीता तेज जरूर दौड़ता है, लेकिन सिर्फ 20 से 30 सेकंड। इसके बाद उसका शरीर बहुत ज्यादा गर्म हो जाता है और उसे रुकना पड़ता है।
चीते के चेहरे की काली धारियां धूप की चमक को कम करने का काम करती हैं। इससे वो अपने शिकार पर बेहतर फोकस कर पाता है।
चीता कभी पेड़ पर नहीं चढ़ता। उसका शरीर स्पीड के हिसाब से बना है, पेड़ पर चढ़ने के लिए नहीं।
नर चीते अकेले या कभी-कभी 2-3 के ग्रुप में रहते हैं, लेकिन मादा चीता ज्यादातर अकेले रहना पसंद करती हैं।
भारत में 1952 में चीते विलुप्त हो गए थे। अब मध्यप्रदेश के कूनो नेशनल पार्क में नामीबिया और दक्षिण अफ्रीका से चीते लाए गए हैं।